सिका छ ,सीकावा छ, सीके राज घडवा छ,सीको गोरमाटी सिकलो रा, सिक सिक राज पथ चढलो रा,सीके वाळो सिक पर लेल सेवारो रूप रा.---Dr.Chavan Pandit


Headline



Saturday, October 17, 2009

वोटर हैं पर सुधि लेने वाला कोई नहीं



महराजगंज [आशुतोष कुमार मिश्र]। आजादी का सूरज निकले अर्सा बीत चुका। ढंग से जीने का मौका और अधिकार भी मिला। दुनिया के साथ अपना देश भी तरक्की की दौड़ लगा रहा है। सरकारी सोच में आम-अवाम की जगह भी उल्लेखनीय है। लेकिन यहां सुकठिया की बंजारा बस्ती की तस्वीर ही निराली है। देश में जहां विकास की तमाम योजनाएं संचालित हो रही हैं, ऐसे में इन बंजारों की बदहाल जिंदगी की सुधि लेने वाला कोई नहीं है।

यहां हर बंदा कतील शिफाई की कलम से बाबस्ता है-मेरे खुदा मुझे इतना तो मोतबर कर दे

मैं जिस मकान में रहता हूं उसे घर कर दे।

बात ग्राम पंचायत सुकठिया के एक टोला बंजारा बस्ती है। यहां तीन सौ सदस्यों के समुदाय की हर गली में अशिक्षा का अंधियारा है। बेरोजगार नौजवानों की फौज है। बीमार बच्चे देश की सेहत पर सवाल है। अपने हल की जमीन नहीं है। जबकि इन्हे मत का अधिकार मिला है। ये लोग लोकतंत्र की सोच के आधार है। बावजूद इसके नुमाइंदों की नजर इनकी तरफ नहीं उठ रही।

इक्का-दुक्का घरों को छोड़कर बाकी झोपड़ी में हैं। इनके जीने का जो साधन रहा वह भी खत्म हो गया। पहले इनकी रोटी मवेशियों की खरीद-बिक्री पर निर्भर थी। वक्त की कोख से सवाल उपजा तो इन्होंने यह साधन दरकिनार कर दिया। तीन बेटे, दो बहू और दो पोतों के साथ समय का साथ दे रही भुअली निशा के पति थक चुके है। भुअली को राशन कार्ड न मिलने का मलाल है। शैल देवी और अजीज को सियाह रातों से पीड़ा है। कुछ ही दूरी का दरम्यान पार कर नगर से इस बस्ती तक बिजली नहीं पहुंची। शाहजहां खातून शौहर के साथ चार सदस्यों के परिवार की पीड़ा सुनाती हैं। भूमिहीन होने का उन्हे दुख है,क्योंकि जीने के और साधन हैं नही। सगीर का बेटा मुबारक बीए तक की पढ़ाई कर बेरोजगारी की अंधेरी सुरंग के सामने खड़ा पछता रहा है। राजनेताओं के जिक्र से उसे चिढ़ है। बहरुननिशा, शाहजहां और तबारक का कहना है कि पड़ोस में शहरी जिंदगी हमें अपने होने पर तरस दिलाती है। तबारक पांच भाइयों में एक है। दूसरे की गाड़ी के स्टेयरिंग पर इसके परिवार की आस टिकी है। कुनबे वालों का कहना है कि हम वोटर है, इस बात का एहसास कराने कोई राजनेता नहीं पहुंचता। समस्याओं को लेकर मुखर हदीस सरकार और अधिकारियों से अपनी दुश्वारियों की गवाही कई बार पेश कर चुका है। हदीस अपनी लड़ाई को लेकर तैयार है। सब कुछ दरकिनार कर उसे कुनबे की तस्वीर बदलने की जिद है।

Regards,

yahoo,jagran



No comments:

Post a Comment

Jai sevalal,Gormati.......I think,you want to write something.

Hand Paintings

Gormati Headline Animator

Bookmark and Share
zwani.com myspace graphic comments Badshah Naik