सिका छ ,सीकावा छ, सीके राज घडवा छ,सीको गोरमाटी सिकलो रा, सिक सिक राज पथ चढलो रा,सीके वाळो सिक पर लेल सेवारो रूप रा.---Dr.Chavan Pandit


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Saturday, October 17, 2009

Maro Fufir Chora- Banjara favorite song

बस्ती-बस्ती पर्वत-पर्वत गाता जाए बंजारा

15 करोड़ खानाबदोश व अर्ध खानाबदोश जनजातियों के बारे में आयोग की रिपोर्ट खटाई में

छठी सदी के संस्कृत के महाकवि दंडी ने अपनी रचना दशकुमार चरित्र में एक जाति का उल्लेख किया है। यह जाति और कोई नहीं आज के युग में भी तंबू-कनात लिए हुए एक जगह से दूसरी जगह अपना आशियाना बदलतीं बनजारा जातियां हैं। भारत सरकार द्वारा गठित खानाबदोश एवं अर्ध खानाबदोश जनजाति राष्ट्रीय आयोग ने जुलाई २००८ के पहले सप्ताह में सौंपी अपनी रिपोर्ट में बताया है कि इस समय देश में करीब 12 करोड़ ऐसी आबादी है। कुछ अन्य स्रोतों से यह संख्या 15 करोड़ बतायी गयी है। यानि पूरा उत्तर प्रदेश जितनी बड़ी आबादी या यूरोप के कई देशों के बराबर की आबादी भारत में बेघरबार इधर-उधर भटक रही है। इनकी न तो कोई नागरिकता होती है और न ही कोई पहचान। आयोग के अनुसार देश का नागरिक होते हुए भी व्यवहार से बंजारा जातियां न किसी देश का नागरिक है और न ही उसे नागरिक जैसे अधिकार प्राप्त हैं।

बालकृष्ण रेणके की अध्यक्षता में गठित आयोग ने बंजारों की स्थिति में सुधार के लिए 38 अंतरिम सिफारिशें की और उन्हें आवश्यक नीति एवं योजना निर्माण के लिए सामाजिक न्याय मंत्रालय को सौंपा। लेकिन न तो संसद को और न ही इन बनजारों को ही सरकार की ओर से यह बताया गया है कि उनके हालात में बेहतरी के लिए इन सिफारिशों की रोशनी में क्या कुछ किया जा रहा है। आयोग ने इस बात पर भी चिंता जाहिर की है कि विभिन्न राज्यों में इन जातियों को दलित-आदिवासी या पिछड़ा- किसी वर्ग में शामिल नहीं किया गया है। आयोग ने इन जातियों के बच्चों के लिए आवासीय विद्यालय खोलने तथा उन्हें आवश्यक तकनीकी प्रिशक्षण देने पर बल दिया है और इनके लिए 10 फीसदी आरक्षण का प्रस्ताव किया है।

बंजारा मुख्य रूप से देश के दक्षिण और पश्चिम में बसे हैं। वैसे ऐसी घूमन्तु जातियां देश भर में हैं। उत्तर प्रदेश में ये बावरिया और बिहार में करोर, नट, बक्खो आदि कहलाते हैं। दक्षिण के बनजारे अपना उत्स उत्तर भारत की ब्राह्मण और राजपूत जातियों से मानते हैं, तो राजस्थान मूल की गड़िया लोहार नामक बनजारा जाति चित्तौड़ की राजपूत जाति से। इतिहास में इस जाति का पहला उल्लेख 1612 की तारीखे-खाने-जहान लोदी में मिलता है। ग्रियर्सन के अनुसार, बंजारा नाम संभवत: संस्कृत के वाणिज्यकार से आया है। बंजारा जाति को और भी कई नामों से जाना जाता है। इनमें बनजारी, ब्रिजपरी, लभानी, लाबांकी, लबाना, लभाणी, लंबानी, बोइपारी, सुगाली आदि शामिल है।

अंग्रेंजों ने 1871 में अपराधी जनजाति कानून बनाकर सभी बंजारा जातियों को चोर-लूटेरे के रूप में चित्रित किया। यह काला कानून 1952 में रद्द हो गया लेकिन उसकी जगह `आदतन अपराधी कानून 1952´ स्वतंत्र भारत की संसद ने बना दिया, जो आज भी लागू है। इसके अलावा भिक्षा प्रथा निषेध कानून के तहत भी इन जातियों को प्रताड़ित करने का सिलसिला बदस्तूर जारी है।

बिहार विधान परिषद के पूर्व सभापति, वर्तमान में राज्यसभा सांसद और उर्दू के साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित डॉ। जाबिर हुसैन द्वारा संपादित अर्धवार्षिक पत्रिका `दोआबा´ का दिसंबर 2008 का अंक खानाबदोशों पर ही केंद्रित है।

पंडित जवाहर लाल नेहरू ने 1930 में लिखा था, ` अपराधी जनजाति कानून के विनाशकारी प्रावधान को लेकर मैं चिंतित हूं। यह नागरिक स्वतंत्रता का निषेध करता है। इसकी कार्यप्रणाली पर व्यापक रूप से विचार किया जाना चाहिए और को्शिश की जानी चाहिए कि उसे संविधान से हटाया जाए। किसी भी जनजाति को अपराधी करार नहीं दिया जा सकता।´ लेकिन लगता है नेहरू के वारिश ही उनकी भावना नहीं समझ पा रहे है या समझ कर भी अनजान बनने का नाटक कर रहे हैं।

दोआबा में खानाबदोशों पर रिपोर्ट को अगली पोस्टों में जारी रखने की कोशिश करूंगा।

चुनावी जोर आजमाइश में जाति का पलड़ा भारी


निर्वाचन आयोग ने महाराष्ट्र, अरुणाचल प्रदेश और हरियाणा में विधानसभा चुनावों की घोषणा कर दी है। इन राज्यों में 13 अक्टूबर को मतदान निश्चित किया गया है। इनमें महाराष्ट्र के चुनाव खासा दिलचस्प हैं। चुनावों की तैयारियों के सिलसिले में महाराष्ट्र के सभी प्रमुख राजनीतिक दल जाति आधारित सम्मेलनों के आयोजन में व्यस्त दिखने लगे हैं। अचानक ही धनगर रैली और कोली समाज सम्मेलन की ही तरह बहुगुजर, माली, कुम्हार, आगरी, महार लिंगायत, मातंग, सुतार-लुहार, दर्जी, नाई, बौद्ध, कुणवी, ब्राह्मण, धोबी आदि समाजों के भी सम्मेलन होने लगे हैं। सम्मेलनों में इन जातियों की मांगें मानी जा रही हैं, उनसे कई वादे किए जा रहे हैं, उन्हें रियायतें दी जा रही है। साफ है कि राजनीतिक दल यह सब कुछ विधानसभा चुनावों में बढ़त पाने के उद्देश्य से कर रहे हैं।

इन सम्मेलनों से इतर महाराष्ट्र में इन दिनों एक और बात देखी जा रही है। राजनीतिक दलों के कार्यकर्ता गांवों में ऐसे लोगों को अपने साथ ले रहे हैं, जो प्रमुख जातियों के वोट खींचने में समर्थ हैं। दलों के कार्यालयों में हर सीट के जातिगत समीकरण पर विचार-विमर्श हो रहा है। इस बार हलचल इसलिए ज्यादा है, क्योंकि परिसीमन ने हर सीट का भूगोल और मतदाताओं का प्रोफाइल बदल दिया है।


ढाई दशक पहले तक महाराष्ट्र में जाति का गणित इतना प्रभावशाली नहीं था। सत्ता के गलियारों में एकमात्र मराठा जाति हावी थी। बाकी जातियां उसी पर आश्रित थीं। इसलिए लंबे समय तक यह मान्यता कायम रही कि महाराष्ट्र में मुख्यमंत्री बनने के लिए उसका मराठा होना जरूरी है। यदि किसी अन्य जाति का व्यक्ति मुख्यमंत्री बन गया तो उसे टिकने नहीं दिया जाता। बंजारा जाति के वसंतराव नाइक का 11 साल तक मुख्यमंत्री बने रहना इस बात का द्योतक है कि शुरू में मराठा लॉबी पर कांग्रेस की नेता इंदिरा गांधी का प्रभाव था। हालांकि 1980 में इंदिरा गांधी ने ही ए. आर. अंतुले को मुख्यमंत्री बनाया था, पर दो साल में ही उन्हें हटा दिया गया। 2004 में दलित मतों के लिए चुनाव के 13 महीने पहले विलासराव देशमुख को हटाकर दलित नेता सुशील कुमार शिंदे को मुख्यमंत्री बनाया गया। लेकिन चुनाव जीतने के बाद कांग्रेस ने शिंदे को नहीं, मराठा नेता विलासराव देशमुख को मुख्यमंत्री बनाया।

महाराष्ट्र की कुल आबादी में मराठे 27 प्रतिशत हैं। यह प्रतिशत अधिक नहीं है, पर राज्य के उद्योग-धंधों पर मराठा जाति की पकड़ मजबूत है। ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर तो उन्हीं का वर्चस्व है। तालुका और जिले की राजनीति को प्रभावित करने वाले राज्य के चीनी कारखाने, सूत मिलें, दुग्ध सोसायटियां, क्रेडिट सोसायटियां, सहकारिता बैंक, खरीद-बिक्री संघ सभी पर मराठों को बढ़त हासिल है। इसी का नतीजा है कि हर जिले या तालुका में किसी न किसी मराठा परिवार का साम्राज्य जैसा स्थापित हो गया हैं। कोंकण जैसे कुछ क्षेत्र इस ट्रेंड के अपवाद हैं, पर राजनीति में उनकी हैसियत मामूली है।

हालांकि राजनीति और बिजनेस दोनों जगह मराठे छाए हुए हैं, पर शरद पवार के कांग्रेस से अलग हो जाने के बाद मराठा लॉबी बंट गई है। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) पर मराठों का वर्चस्व है। मंत्रिमंडल में शामिल उसके 24 मंत्रियों में से 17 मराठा ही हैं। पर मराठा आरक्षण की मांग ने इस लॉबी को करारा झटका दिया है। यह बात फैल गई है कि सत्ता पर असल में कुणवी मराठों का कब्जा है और असली मराठों का बड़ा तबका सत्ता से महरूम है। हाल में हुए लोकसभा चुनावों में एनसीपी की पराजय का एक कारण मराठा आरक्षण की मांग रहा है। इसी मांग ने ओबीसी और दलित वर्ग को एनसीपी से अलग कर दिया।

उत्तर भारतीय राज्यों के मुकाबले महाराष्ट्र को जात-पांत के मामले में प्रगतिशील माना जाता है। मूल रूप में महाराष्ट्र प्रगतिशील है भी। लेकिन जब बात सत्ता पर अधिकार की आती है, तो वहां जाति को ही अहमियत दी जाती है। वैसे तो कांग्रेस ने दलितों और मुसलमानों को सदा अपने साथ जोड़े रखा, सत्ता में भी जगह दी, लेकिन उसने भी शीर्ष पद उनके हाथ लगने नहीं दिए।

स्व. यशवंतराव चव्हाण, वसंत दादा पाटिल और अब शरद पवार व्यक्तिगत तौर पर जातिवादी नहीं कहे जा सकते, पर वे पश्चिम महाराष्ट्र के जिस समृद्ध इलाके से ताल्लुक रखते हैं, वहां मराठा जाति की राजनीति ही हावी है। खुद शरद पवार ने मराठा लॉबी के शिकंजे से मुक्त होने और सही मायने में जन नेता बनने के लिए कई फैसले किए। इनमें से प्रमुख था मराठवाड़ा विश्वविद्यालय का नाम बदलकर बाबा साहब आंबेडकर के नाम पर रखना। पर पवार को इस फैसले की कीमत 1995 में हुए विधानसभा चुनावों में चुकानी पड़ी थी। मराठवाड़ा में कांग्रेस की पराजय हुई, क्योंकि इस फैसले से दलितों के बाहर का समाज नाराज हो गया था।

शिवसेना के बाल ठाकरे ने भी शुरू में जातिगत राजनीति से परहेज किया, लेकिन सत्ता की राजनीति में लंबे समय तक टिके रहने के लालच में अब शिवसेना भी जाति का गणित बिठाने लगी है। 1999 में चुनाव से पहले ठाकरे भी नारायण राणे को मुख्यमंत्री बनाने पर मजबूर हुए, जोकि मराठा हैं। शिवसेना की पार्टनर- बीजेपी भी जाति के आधार पर उम्मीदवारों का चयन करती रही है।

गत दो लोकसभा और विधानसभा चुनावों से जाति समीकरणों के आधार पर ही उम्मीदवार तय किए जा रहे हैं। मतदान का पैटर्न भी जातीय गणित के असर से अछूता नहीं रह पाया है। ग्रामीण इलाकों में तो जातियों का वर्चस्व है ही, महानगरों में भी उम्मीदवार की जाति, क्षेत्र और भाषा देखी जाती है। उम्मीदवार की शिक्षा, सामाजिक हैसियत और आचरण के बारे में सोचना इन दिनों आउट डेटेड हो गया है।

महाराष्ट्र में कभी इस विचार को अहमियत मिली थी कि अगर जाति के आधार पर रियायतें दी गईं, तो इससे समाज में जातिगत भेदभाव को बढ़ावा मिलेगा। पर दुर्भाग्य से अब यह विचार बिल्कुल अप्रासंगिक हो गया है। चुनाव के मौके पर हर जाति-समाज को खुश करने के लिए रियायतों की घोषणा करने का नया रिवाज चल निकला है। अफसोस यह है कि राजनीति में एकजुट हुआ बहुजन समाज मराठों की जगह नहीं ले पा रहा है। गोपीनाथ मुंडे जैसे कुछ गैर-मराठा प्रभावशाली नेता हुए हैं, पर धीरे-धीरे वे भी अपनी जाति के ही नेता बनते जा रहे हैं।

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विमुक्त जाति विकास प्राधिकरण का गठन किया जायेगा – मुख्यमंत्री श्री चौहान

gwaliortime:मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने आज जिले के ग्राम बमनाला में आयोजित बंजारा समाज के विशाल सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि प्रदेश में बंजारा समाज के लिए महाराष्ट्र पेटर्न पर सुविधाएं उपलब्ध कराने हेतु परीक्षण तथा अध्ययन करके उस दिशा में गंभीर कदम उठाये जायेंगे। उन्होंने घोषणा करते हुए कि विमुक्त जाति विकास प्राधिकरण का गठन किया जायेगा जिसका अध्यक्ष बंजारा समाज का होगा।

मुख्यमंत्री श्री चौहान ने ग्राम बमनाला में स्वतंत्रता सेनानी टन्टया भील समाधि स्थल पर एक भव्य स्मारक बनाने की घोषणा की। उन्होंने 2 करोड़ 35 लाख रूपये की भीकनगांव फिल्टर प्लान्ट योजना है उसमें से शेष 87 लाख रूपये की राशि स्वीकृत करने की घोषणा की। इसी प्रकार ग्राम बमनाला में 10 बिस्तरों की क्षमता का अस्पताल खोलने तथा छात्रावास की क्षमता बढ़ाने की घोषणा की। उन्होंने सतवाड़ा से मोरदा नदी पर स्टापडेम सह पुलिया निर्माण के लिए 34 लाख 75 हजार रूपये, सतावड़ नदी पर पुलिया निर्माण के लिये 32 लाख 74 हजार रूपये, कमोदवाड़ा से सतावड़ नदी पर स्टापडेम सह रपटा के निर्माण के लिए 32 लाख रूपये की घोषणा की। उन्होंने कहा कि महिला प्रसूति के बाद45 दिन तक की मजदूरी महिला को घर बैठे दी जाएगी। इस योजना की 25 सितम्बर को विधिवत घोषणा की जायेगी जो एक अक्टूबर से लागू होगी। उन्होंने कहा कि आदिवासी बच्चों की पढ़ाई पैसों के अभाव में नहीं हो पाती है ऐसी स्थिति को देखते हुए कक्षा एक से छात्रवृत्ति दी जाएगी जिसमें बालक को 500 रूपये तथा बालिकाओं को 525 रूपये की छात्रवृत्ति दी जायेगी। गरीब परिवार के व्यक्ति अगर बीमारी पर उसका इलाज सरकार करायेगी। उन्होंने कहा कि अपरवेदा जलाशय योजना का कार्य पूर्ण हो चुका है जिसके नहर निर्माण को पूर्ण कराने के लिए हर संभव प्रयास किये जायेंगे। उन्होंने आगे कहा कि आने वाले समय में विकास के लिए धन की कोई कमी नहीं आने दी जायेगी। उन्होंने कहा कि सरकार एक ऐसी योजना ला रही है जिसमें युवा बेरोजगारों का विशेष रुप से ध्यान रखते हुए प्रति वर्ष 10 लाख रोजगार मुहैया कराया जायेगा। इसके पूर्व उन्होंने शासकीय बालक माध्यमिक विद्यालय बमनाला में 6 लाख 52 हजार रूपये की लागत से नव निर्मित भवन तथा एक लाख 84 हजार रूपये की लागत से नव निर्मित अतिरिक्त कक्ष का लोकार्पण किया। इस अवसर पर उन्होंने विद्यालय परिसर में वृक्षोरापण भी किया। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने 4 करोड़ 71 लाख 18 हजार रूपये की लागत से बनने वाली लाखापुरा सिंचाई योजना और 7 करोड़ 70 लाख 30 हजार रूपये की लागत की जैतगढ़ सिंचाई योजना की आधार शिला रखी। इसी प्रकार टेमला से गोविन्दपुरा बेरछा मार्ग पर 16 लाख कि.मी. लम्बे मार्ग निर्माण का शिलान्यास किया। इस मार्ग पर 3 करोड़ 34 लाख 42 हजार रूपये की लागत आएगी। उन्होंने शिवन से ठोकन बेड़ा मार्ग पर 4.40 कि.मी. लम्बी सड़क निर्माण कार्य की आधार शिला रखी। इस सड़क पर 34 लाख 72 हजार रूपये की लागत आएगी। उन्होंने बिरुल से एकतासा मार्ग पर 3.35 कि.मी. बनी लक्ष्मी सड़क का लोकार्पण किया। इस सड़क पर 69 लाख 92 हजार रूपये की लागत आई है। इसी प्रकार एक करोड़63 लाख 99 हजार रूपये की लागत से बनी चिरागपुरा फाटा से सिराली मार्ग 10.80कि.मी. लम्बी सड़क तथा एक करोड़ 40 लाख 53 हजार रूपये की लागत से बनी दौड़वा से बोरगांव मार्ग 6 कि.मी. लम्बी सड़क का लोकार्पण भी किया।

इस अवसर पर पूर्व जनसम्पर्क मंत्री श्री नरेन्द्र सिंह तोमर, पूर्व सांसद श्री कृष्ण मुरारी मोघे, खण्डवा के सांसद श्री नंद कुमार सिंह चौहान तथा महाराष्ट्र के सांसद श्री हरिभाऊ राठौर ने भी संबोधित किया। इस अवसर पर खरगोन विधान सभा क्षेत्र के विधायक श्री बाबूलाल महाजन, तथा अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन भीकमगांव विधान सभा क्षेत्र के विधायक श्री धुलसिंह डाबर ने किया।

Regards,

http://gwaliortimes.wordpress.com/2007/08/26/विमुक्त-जाति-विकास-प्राध/

गुर्जरों और बंजारों को पांच प्रतिशत आरक्षण


सरकार ने गुर्जर, बंजारा, रेबाड़ी, पिछड़ी जातियों के लिए विशेष वर्ग बनाकर पांच प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान किया है

राजस्थान सरकार कुछ समुदायों को विशेष श्रेणी के रूप में पांच प्रतिशत आरक्षण देने पर सहमत हो गयी है। इनमें गुर्जर, बंजारे और रेवाड़ी शामिल है। ब्राह्‌मण, राजपूत, वैश्य और कायस्व जाति के गरीबों को भी 14 प्रतिशत आरक्षण दिया जाएगा। गुर्जर नेता किरोड़ी सिंह बैंसला के साथ हुए समझौते के ब्योरे की घोषणा करते हुए मुख्यमंत्री वसुन्धरा जयपुर में कहा कि गुर्जर आरक्षण मुद्दे पर केन्द्र को भेजे जाने वाले पत्र पर भी समझौता हो गया है।

सरकार ने गुर्जर, बंजारा, रेबाड़ी, पिछड़ी जातियों के लिए विशेष वर्ग बनाकर पांच प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान किया है। इस आरक्षण से जो वर्तमान में लागू आरक्षण व्यवस्था है, उसपर किसी भी प्रकार का कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ेगा। कर्नल बैंसला ने कहा कि वह पीलूपुरा लौटकर 27 दिन से चल रहे आंदोलन को समाप्त करने की घोषणा करेंगे।

असमंजस्य के दौर के बाद मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे और कर्नल बैसला दोनों ने उम्मीद जताई की अब इस मुद्दे पर और आंदोलन नहीं होंगे। इस समझौते पर अब तक गुर्जर नेताओं की प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है। लेकिन यह तय है कि अनुसूचित जाति में शामिल करने की एक मात्र मांग पर हुए इस आंदोलन की समाप्ति विशेष श्रेणी के पांच प्रतिशत आरक्षण पर करना काफी मुश्किल होगा। इसके साथ ही केन्द्र सरकार को गुर्जर आरक्षण के बारे में राज्य सरकार एक पत्र भी लिखेगी। हालांकि इस पत्र के मसौदे का खुलासा नहीं किया गया है। आज के समझौते के मुताबिक मृतकों के परिवारों को मुआवजा भी दिया जायेगा। आज ही राज्य सरकार ने एक और घोषणा करते हुए आर्थिक रूप से पिछड़े अगड़ों को भी १४ प्रतिशत आरक्षण का लाभ देने का निर्णय लिया।
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वोटर हैं पर सुधि लेने वाला कोई नहीं



महराजगंज [आशुतोष कुमार मिश्र]। आजादी का सूरज निकले अर्सा बीत चुका। ढंग से जीने का मौका और अधिकार भी मिला। दुनिया के साथ अपना देश भी तरक्की की दौड़ लगा रहा है। सरकारी सोच में आम-अवाम की जगह भी उल्लेखनीय है। लेकिन यहां सुकठिया की बंजारा बस्ती की तस्वीर ही निराली है। देश में जहां विकास की तमाम योजनाएं संचालित हो रही हैं, ऐसे में इन बंजारों की बदहाल जिंदगी की सुधि लेने वाला कोई नहीं है।

यहां हर बंदा कतील शिफाई की कलम से बाबस्ता है-मेरे खुदा मुझे इतना तो मोतबर कर दे

मैं जिस मकान में रहता हूं उसे घर कर दे।

बात ग्राम पंचायत सुकठिया के एक टोला बंजारा बस्ती है। यहां तीन सौ सदस्यों के समुदाय की हर गली में अशिक्षा का अंधियारा है। बेरोजगार नौजवानों की फौज है। बीमार बच्चे देश की सेहत पर सवाल है। अपने हल की जमीन नहीं है। जबकि इन्हे मत का अधिकार मिला है। ये लोग लोकतंत्र की सोच के आधार है। बावजूद इसके नुमाइंदों की नजर इनकी तरफ नहीं उठ रही।

इक्का-दुक्का घरों को छोड़कर बाकी झोपड़ी में हैं। इनके जीने का जो साधन रहा वह भी खत्म हो गया। पहले इनकी रोटी मवेशियों की खरीद-बिक्री पर निर्भर थी। वक्त की कोख से सवाल उपजा तो इन्होंने यह साधन दरकिनार कर दिया। तीन बेटे, दो बहू और दो पोतों के साथ समय का साथ दे रही भुअली निशा के पति थक चुके है। भुअली को राशन कार्ड न मिलने का मलाल है। शैल देवी और अजीज को सियाह रातों से पीड़ा है। कुछ ही दूरी का दरम्यान पार कर नगर से इस बस्ती तक बिजली नहीं पहुंची। शाहजहां खातून शौहर के साथ चार सदस्यों के परिवार की पीड़ा सुनाती हैं। भूमिहीन होने का उन्हे दुख है,क्योंकि जीने के और साधन हैं नही। सगीर का बेटा मुबारक बीए तक की पढ़ाई कर बेरोजगारी की अंधेरी सुरंग के सामने खड़ा पछता रहा है। राजनेताओं के जिक्र से उसे चिढ़ है। बहरुननिशा, शाहजहां और तबारक का कहना है कि पड़ोस में शहरी जिंदगी हमें अपने होने पर तरस दिलाती है। तबारक पांच भाइयों में एक है। दूसरे की गाड़ी के स्टेयरिंग पर इसके परिवार की आस टिकी है। कुनबे वालों का कहना है कि हम वोटर है, इस बात का एहसास कराने कोई राजनेता नहीं पहुंचता। समस्याओं को लेकर मुखर हदीस सरकार और अधिकारियों से अपनी दुश्वारियों की गवाही कई बार पेश कर चुका है। हदीस अपनी लड़ाई को लेकर तैयार है। सब कुछ दरकिनार कर उसे कुनबे की तस्वीर बदलने की जिद है।

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बंजारा जीवन का रोमांस


बंजारों का जीवन कवियों ,संतों और रसिकों की कवितायों , सीखों और आकाँक्षाओं में बारबार आनेवाल विम्ब है.बंजारा उन्मुक्त और स्वतंत्र जीवन का प्रतीक .मानव की अदम्य जिजीविषा का प्रतीक ,मतलब मनुष्य की खोजी प्रतीक का रूमानी मुर्तिकरण या अमूर्तिकरण.कहें तो राहुल सांकृत्यायन , मार्को पोलो , हुवें त्सांग और कोलंबस वास्कोडिगामा जैसी आत्मायों की कम्पोसित साक्षात् मूर्ति।
कवियों के लिए तो उनकी सारी रूमानियत का स्थूल रूप .और जब यह किसी सधे गायक के स्वर में सुनें तो आप भी पुरे मस्त हो जाते हैं।
यूरोप में फैले हुए जिप्सी समुदाय यूँ तो सदियों से प्रताडित और शोषित रहा है पर यूरोपियन साहित्य में रूमानियत का स्थाई प्रतीक के तौर पर रहा है।
इतिहासकार कहते हैं कि भोपाल ताल का निर्माण लख्खा बंजारा नामके के सरदार ने बनाया था।
बंजारों कि प्रेम कहानियाँ ,कठिन परिश्रम , त्याग और बहुदारी के किस्से मध्य भारत में प्रचलित हैं।
जसमा ओडन की अद्भुत प्रेम कथा गुजरात , मालवा ,छत्तीसगढ़ और संभलपुर तक लोकजीवन में रची बसी है ।
मार्मिक प्रेम कथा है जसमा ओडन की । नादिरा बब्बर ने जसमा ओडन की लोक कथा को रंगमंच पर जीवित किया है।
बंजारों और उनके जीवन का रूमानी आकर्षण इस तरह बना रहे.कल मैं अनुराधा पौडवाल जी की एक गायन समारोह में गया था .बंजारों की महिमा उनके एक मधुर गीत में सुना और उनके जीवन के रोमांस में खो गया.
Regards,
http://patnagandhimaidan.blogspot.com/2009/01/blog-post_09.html

बिहार प्रशासन ने लाशें नदी में बहा दीं



मारे गए लोग
लोगों ने कथित चोरी के आरोप में 10 लोगों को पीट पीटकर मार दिया था
बिहार के वैशाली ज़िले में बंजारा समुदाय के जिन 10 लोगों को गुरुवार को चोरी के संदेह में पीट पीटकर मार दिया गया था, उनके शव रविवार को हाजीपुर-सोनपुर के निकट गंडक नदी के दलदल में फंसे हुए देखे गए.

इस बारे में झकझोर देनेवाली बात यह है कि ये शव वैशाली ज़िला प्रशासन को अंतिम संस्कार के लिए सौंपे गए थे.

लेकिन ऐसा न करके इन शवों को नदी में फेंक दिया गया और यह झूठी सूचना वहाँ के संबंधित अधिकारियों ने जारी कर दी कि सभी 10 शवों को सरकारी खर्चे पर विधिपूर्वक दाह संस्कार संपन्न करा दिया गया.

रविवार को जब ये शव फूलकर छिन्न-भिन्न स्थिति में उथले दलदल में दिखे तो स्थानीय प्रशासन का संवेदनहीन चेहरा भी सामने आ गया.

संवेदनहीनता

हाजीपुर के जिस कोनहारा घाट पर दाह संस्कार संपन्न कराने की ख़बर उस दिन वैशाली ज़िला प्रशासन ने अपने राज्य मुख्यालय को दी थी, वहीं के एक पुजारी ने इन शवों की सूचना प्रशासन को दी.

उन्होंने बताया कि पुलिस प्रशासन से जुड़े दो अधिकारी एक नाविक को कुछ रुपए देकर ये कहते हुए लाशों को वहीं छोड़ गए कि इन्हें नदी में ले जाकर फेंक देना.

जब ये ख़बर मुख्यमंत्री नीतिश कुमार तक पहुँची तो इसकी गंभीरता समझ उन्होंने फौरन उच्च अधिकारियों को तलब किया और दोषी अधिकारियों पर अविलंब कार्रवाई का निर्देश किया.

परिणाम स्वरूप वैशाली के जिलाधिकारी लल्लन सिंह और पुलिस अधीक्षक अनुपमा निलेकर का फौरन तबादला कर दिया गया.

उनकी जगह प्रतिमा एस वर्मा को वैशाली का नया ज़िलाधिकारी और पारसनाथ को वहाँ का पुलिस अधीक्षक बनाकर भेजा गया है.

साथ ही तीन अधिकारियों को निलंबित किया गया, वे हैं जिला कल्याण पदाधिकारी सर्वेश बहादुर माथुर, हाजीपुर नगर थाना प्रभारी रामकृष्ण सिंह और राजापाकर पुलिस थाने की दरोगा विभाकुमारी.

इन्हीं अधिकारियों पर शवों के अंतिम संस्कार की ज़िम्मेदारी सौंपी गई थी.

लेकिन इस मामले में जैसी कर्तव्यहीनता बरती गई, उससे लोगों में आक्रोश है

गौरीशंकर और दूधिया मंदिरों में है,अलौकिक शिवलिंग (बंजारा समुदाय ने शिवलिंग को स्थापित कर दिया)


पीलीभीत। नगर के तीन प्रमुख शिव मंदिरों में से दो का इतिहास काफी प्राचीन है। सिर्फ नगर ही नहीं बल्कि दूर-दूर से तमाम भक्त इन मंदिरों में पूजा-अर्चना करने पहुंचते हैं। खासकर सावन में तो पूरे महीने प्रतिदिन ऐतिहासिक गौरीशंकर मंदिर, दूधिया मंदिर और अ‌र्द्ध नारीश्वर मंदिर में भक्तों की भीड़ उमड़ती है। इसके अलावा महाशिवरात्रि पर भी इन मंदिरों में विशेष अनुष्ठान होते हैं।

नगर के सबसे प्राचीन गौरीशंकर मंदिर के बारे में कहा जाता है कि पहले यहां घना जंगल था। आसपास बंजारों की बस्ती थी। जमीन की खुदाई करते समय एक काफी बड़ा और आकर्षक शिवलिंग जमीन से निकला। जिस बंजारे ने खुदाई की थी, उसे शंकर भगवान ने स्वप्न दिया कि इसी जगह पर शिवलिंग की स्थापना करके पूजा करे। बंजारा समुदाय के द्वारिका दास ने छोटा सा मंदिर बनाकर शिवलिंग को स्थापित कर दिया। अपने जीवन के अंतिम दिनों में द्वारिका दास ने इस मंदिर को महंत खूबचंद्र के पिता को सौंप दिया। तब से अब तक उन्हीं के परिवार के सदस्य पीढ़ी दर पीढ़ी इस मंदिर के महंत बनते रहे हैं। वर्तमान महंत पंडित शिव शंकर का कहना है कि करीब छह सौ साल पहले जब रुहेला सरदार हाफिज रहमत खां ने यहां जामा मस्जिद का निर्माण कराया तो उसके तुरंत बाद हिन्दुओं की आस्था के केंद्र गौरीशंकर मंदिर का भव्य मुख्यद्वार बनवा दिया। सामन के महीने में इस मंदिर में दूर-दूर से कांवर लाकर भक्त अपने भोले बाबा का जलाभिषेक करते है।

नगर का दूधिया मंदिर भी अपने में इतिहास समेटे हैं। सैकड़ों साल पहले यहां पर भी जंगल था। जंगल में ही भूमि से दूधिया रंग का बड़ा सा शिवलिंग निकला। इस शिवलिंग की स्थापना कर छोटा सा मंदिर बना दिया गया। आगे चलकर भक्तों के सहयोग से मंदिर को भव्य स्वरूप प्रदान किया गया। इस स्थल की प्राचीनता का अंदाज इसी से लगाया जा सकता है कि लुप्तप्राय: हो गया शमीवृक्ष यहां मौजूद है। इस विशाल वृक्ष की हर शनिवार को भक्त पूजा करते हैं। मान्यता है कि शमीवृक्ष पर लक्ष्मी का निवास होता है। मंदिर के महंत कामता प्रसाद उपाध्याय कहते हैं कि इस मंदिर की स्थापना कब और किसने की यह कोई नहीं जानता। इसके बारे में यही बताया जाता है कि जंगल में आकर कुछ संत ठहरे थे, तभी भूमि से दूधिया रंग का शिवलिंग प्रकट हुआ, उन्हीं संतों ने शिवलिंग की स्थापना कर छोटा सा मंदिर बनवाया। आगे चलकर मंदिर की मान्यता बढ़ी तो भक्तों के सहयोग से इसका स्वरूप विशाल होता गया।

स्टेशन रोड पर स्थित अ‌र्द्ध नारीश्वर मंदिर का इतिहास ज्यादा पुराना नहीं है लेकिन भक्तों के बीच इसकी भी मान्यता कम नहीं है। खासकर सावन के महीने में सुबह और शाम के समय यहां तमाम भक्त पहुंचते हैं। दशकों पहले इस मंदिर का स्वरूप काफी छोटा था लेकिन श्रद्धालुओं ने बाद में इस मंदिर को भव्य बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी है। शहर में मुख्य मार्ग के किनारे होने के कारण तमाम भक्त सुबह शिवलिंग के दर्शनों के उपरांत ही अपनी दिनचर्या आरंभ करते हैं।


Regards,

Yahoo,Jagran

Tuesday, October 13, 2009

‘भटक्या विमुक्तांना काँग्रेसतर्फे एक तरी जागा हवी



यवतमाळ:
भटक्या विमुक्त जातीची जमाती संख्या आणि त्यांच्या गंभीर समस्या लक्षात
घेता बंजारा समाजाला अथवा या जाती- जमातींना विदर्भातून एक तरी जागा
काँग्रेसने द्यावी, अशी मागणी बंजारा नेत्यांनी केली आहे.
यवतमाळ-वाशीम लोकसभा मतदारसंघात काँग्रेसच्या उमेदवारीवर माजी
खासदार हरिभाऊ राठोड होते. त्यांचा भाजप-सेना युतीच्या सेना उमेदवार
खासदार भावना गवळींनी ५० हजार मतांनी पराभव केला होता. काँग्रेस
उमेदवाराच्या पराभवापेक्षाही हरिभाऊ राठोड यांचा पराभव ही बाब बंजारा
समाजाच्या जिव्हारी लागली आहे, अशी या समाजात मोठय़ा प्रमाणात
धारणा झाली आहे. बंजारा समाजाची ही नाराजी काढण्यासाठी काँग्रेसने
आत्मपरीक्षण करण्याची गरज आहे, असे अनेक नेत्यांनी सांगितले.
या संदर्भात खुद्द हरिभाऊ राठोड यांना विचारले असता त्यांनी सांगितले की,
आम्ही कारंजा मतदारसंघात जागा मागितली आहे, विदर्भात एक आणि
मराठवाडय़ात दोन जागा मागितल्या आहेत. बंजारा समाज काँग्रेसच्या
पाठीशी आहे. त्यांची मतदार संख्या मोठी आहे. कारंजा तर लोकसभेच्या
वेळी १३ हजार मतांचे आधिक्य मिळाले होते.
कारंजात काँग्रेसने तुम्हाला उमेदवारी दिली तर लढणार काय? असे
विचारल्यावर राठोड म्हणाले की, मी काँग्रेसचा कार्यकर्ता आहे.
पक्षासाठी काम करणार आहे. पक्षाने आदेश दिला तर लढणार आहे.

गिरणा धरणाचे पाणी न दिल्यास आंदोलन


सकाळ वृत्तसेवा
Saturday, June 13th, 2009 AT 11:06 PM
चाळीसगाव - गिरणा व देशनाला धरणातून काढण्यात आलेल्या पाटचाऱ्यांचा फायदा काही विशिष्ट गावांनाच होत आहे. ज्या गावांत बंजारा समाजाची वस्ती आहे त्या गावांना या दोन्ही धरणांतून पाणी देणे शक्‍य असतानाही त्यांना पाण्यापासून वंचित ठेवले जात आहे. त्यामुळे या दोन्ही धरणांचे पाणी बंजारा समाजाची लोकवस्ती असलेल्या गावांना न मिळाल्यास तीव्र आंदोलन छेडण्यात येईल, असा इशारा बंजारा क्रांती दलाचे राष्ट्रीय अध्यक्ष राकेश जाधव यांनी दिला.
येथील शासकीय विश्रामगृहात घेतलेल्या पत्रकार परिषदेत याबाबत अधिक माहिती देताना श्री. जाधव यांनी सांगितले, की गिरणा व देशनाला (इसापूर) या धरणांच्या तसेच त्यांच्या पाटचाऱ्यांच्या परिसरात माळशेवगे, हातगाव, तळेगाव, अंधारी, शेवरी, ब्राह्मणशेवगे, इसापूर ही बंजारा समाजाच्या वस्तीची गावे आहेत. या गावांमध्ये दरवर्षी विशेषतः उन्हाळ्यात तीव्र पाणीटंचाई निर्माण होत असते. तांड्यावरील लोकांना दूरवर उन्हात भटकंती करून पाणी आणावे लागते. असे असताना धरणाच्या पाण्याचा या सर्व गावांना एक थेंब देखील मिळालेला नाही. केवळ बंजारा समाजाचे लोक या गावांमध्ये अधिक संख्येने मुद्दामहून या गावांना धरणाच्या पाण्यापासून वंचित ठेवले आहे. त्यामुळे बंजारा क्रांती दलाने हा प्रश्‍न गांभीर्याने विचारात घेतला असून या सर्व गावांना पाण्याचा लाभ मिळावा, यासाठी शासन दरबारी पाठपुरावा केला जाणार आहे. याबाबत शासनाने दखल न घेतल्यास, गावाच्या हद्दीबाहेर पाणी जाऊ न देण्याचा निर्धारही बंजारा क्रांती दलाने केला असल्याचे त्यांनी सांगितले.
चाळीसगाव तालुक्‍यात बंजारा समाजाचे सुमारे 70 तांडे असून समाजाचे एकट्या चाळीसगाव विधानसभा मतदारसंघात 55 हजार मतदार असल्याचे सांगून जाधव यांनी सांगितले, की एवढ्या मोठ्या संख्येने बंजारा समाजाचे लोक असूनही आजही समाजाचे प्रश्‍न सुटलेले नाहीत. त्यामुळे बंजारा समाजाचा आमदार झाला पाहिजे, यासाठी जळगाव जिल्ह्यातील चाळीसगाव व जामनेर विधानसभेची जागा मिळावी, अशी मागणी बंजारा क्रांती दलाने केली आहे. बंजारा समाज कष्टाळू व प्रामाणिक असल्याने या समाजाची नेहमीच गळचेपी होत आली आहे. विशेषतः प्रशासकीय कामांसाठी समाजाची चक्क हेळसांडच होत असते. समाजाच्या अगदी नगण्य मागण्या असतात. बंजारा समाजाच्या अनेकांकडे रेशनकार्ड, जातीचा दाखला, उत्पन्नाचा दाखला नाही, तो काढायचा असेल तर तहसील कार्यालयात पैशांची मागणी केली जाते. सातबारा उताऱ्यावर बोजा बसवायचा किंवा उतरायचा असेल तर तलाठी पाचशे रुपये मागतो. त्यामुळे अगोदरच हलाखीचे जीवन जगत असलेल्या बंजारा समाजाची आर्थिक पिळवणूकही होते. ही सर्व परिस्थिती लक्षात घेता पंधरा दिवसांत यात सुधारणा आढळून न आल्यास चाळीसगाव तहसील कार्यालय आवारात बंजारा क्रांती दलातर्फे बेमुदत धरणे आंदोलन केले जाईल, असेही त्यांनी सांगितले.
भाजपलाच पाठिंबा
बंजारा समाजाचे प्रश्‍न सोडविण्यासाठी भाजपचे नेते अटलबिहारी वाजपेयी यांनी प्रयत्न केल्याने गोपीनाथ मुंडे यांच्या नेतृत्वाखाली बंजारा क्रांती दल भाजपच्या उमेदवारांना निवडणुकीत सहकार्य करणार असल्याचे सांगून जाधव म्हणाले, की महाराष्ट्रात बंजारा क्रांती दलाच्या कार्यकर्त्यांनी केलेल्या सर्व्हेक्षणात बारा मतदारसंघ विजयाच्या दृष्टीने खात्रीशीर असल्याचे आढळून आले आहे. त्यामुळे गोपीनाथ मुंडे यांच्याकडे या मतदारसंघात आपले उमेदवार उभे राहावेत, यासाठी आपण मागणी केली आहे. मुंडेंसह एकनाथ खडसे यांच्यावर आपला विश्‍वास असल्याने ते या मागणीकडे निश्‍चितपणे लक्ष देतील, अशी आपल्याला खात्री वाटत असल्याचेही त्यांनी सांगितले. पत्रकार परिषदेस राजेंद्र जाधव, रवी राठोड, शेषराव जाधव, रोहिदास जाधव, नरेंद्र राठोड, डॉ. तुषार राठोड आदी उपस्थित होते.
नाईक यांचे नाव बाजार समितीला द्यावे
हरित क्रांतीचे प्रणेते स्वर्गीय वसंतराव नाईक यांची एक जुलैला जयंती आहे. त्याचे औचित्य साधून राज्यातील सर्व बाजार समित्यांना वसंतराव नाईक यांचे नाव द्यावे, अशी मागणी बंजारा क्रांती दलाने केली असल्याचे जाधव यांनी सांगितले. यासंदर्भात एक जुलैला राज्यातील सर्व तहसीलदारांना बंजारा क्रांती दलातर्फे निवेदन देणार असल्याचे श्री. जाधव यांनी सांगितले.

बंजारा समाजाची चित्तरकथा लवकरच ग्रंथबद्ध


सकाळ वृत्तसेवा
Saturday, August 29th, 2009 AT 11:08 PM

बंजारा समाजातील महिला. (संग्रहित छायाचित्र)

मुंबई - राजकीय पटलावर आपले अस्तित्व टिकवून ठेवण्यासाठी प्रयत्नशील असणारा बंजारा समाज आता शब्दरूपाने आपल्या समाजाची चित्तरकथा मांडणार आहे. येत्या विधानसभा निवडणुकीमध्ये बंजारा समाजास अधिकाधिक प्राधान्य मिळावे म्हणून धडपडणारा बंजारा संघ आपल्या समाज संस्कृतीचा दस्तावेज ग्रंथरूपाने लवकरच प्रकाशित करणार आहे.
या समाजाची पाळेमुळे, त्याची संस्कृती, श्रद्धा-अंधश्रद्धा, रीतीरिवाज, गोत्र या साऱ्याचा शोध घेत-घेत समाजाने केलेल्या प्रगतीचा धांडोळाही या अभ्यासग्रंथातून घेतला जाणार आहे. राज्यात बंजारा समाजाची दीड कोटी लोकसंख्या आहे. आजूबाजूचे जग, समाजव्यवस्था, कुटुंबपद्धती वेगाने बदलत गेली; तरीही गावागावांमध्ये असणारी या समाजाची तांडासमूहपद्धती मात्र आजही कायम आहे. गावाच्या बाहेर डोंगराच्या पायथ्याशी नायक आणि कारभाऱ्याच्या नेतृत्वाखाली आपले रोटी-बेटीचे व्यवहार सांभाळणाऱ्या या समाजाने आजही गावागावांतून आपली तांडा संस्कृती जपली आहे. या तांड्यामधील परस्पर नातेसंबंध, त्यांचे संघर्षमय जीवन, त्यातील यशोगाथांचे सुरस वर्णनही या अभ्यासग्रंथात वाचायला मिळणार आहे. अकरा तज्ज्ञ अभ्यासकांच्या मदतीने बंजारा समाजातील या शोधयात्रेचा प्रारंभ केला जाणार असल्याचे 'तांडा वस्ती सुधार योजने'चे संचालक हिरालाल राठोड यांनी 'सकाळ'ला सांगितले. या समाजाचे पूर्वज राजस्थानमधील मेवाडमधील राजा सेशूदिया कुळ हे बंजारा समाजाचे कुळ मानले जाते. या समाजातील साऱ्या प्रथा-परंपरा आजही राजस्थानमधील समूहरीतीप्रमाणेच आहेत. नायकाच्या साक्षीने तांड्यामध्ये सुरू असणारे विवाहसोहळे एक-एक महिना चालतात. दिवाळीला सर्वत्र धुमधडाक्‍यात केल्या जाणाऱ्या लक्ष्मीपूजनाची परंपरा बंजारा समाजामध्ये नसते, तर तेथे 'काळी दीपावली' जल्लोषात साजरी केली जाते. वेदमंत्रांच्या घोषात विविध सणसमारंभ इतर समूहात साजरे केले जातात; मात्र बंजारा समाजामध्ये गप्पीच्या प्रथेला अनन्यसाधारण महत्त्व आहे. एकही शब्द न उच्चारता मौनाचे महत्त्व सांगणारी ही अनोखी प्रथा आजही हा समाज पाळतो.
समाज- संस्कृतीच्या या विविध अंगांचा शोध घेत असतानाच बंजारा समाजासाठी शासनपातळीवर राबविण्यात आलेल्या विविध योजनांचाही परामर्श यात घेतला जाणार आहे.

स्वातंत्र्याची पहाट बंजारा समाजासाठी उगवलीच नाहीं

सकाळ वृत्तसेवा
Thursday, September 17th, 2009 AT 12:09 AM
सोलापूर - पोलीस रात्री बेरात्री तांड्यावर छापे टाकत आहेत, स्वातंत्र्याच्या साठ वर्षानंतरही काबाडकष्ट करून सन्मानाने जगू पाहणाऱ्या बंजारा समाजाला गुन्हेगार जमात ठरवत पोलिसांकडून अन्यायी वागणूक मिळत आहे, असे मत दक्षिण सोलापूर तालुका सभापती उमाकांत राठोड यांनी आज येथे व्यक्त केले.
डफरीन चौकातील सारस्वत मंगल कार्यालयात बंजारा समाजातील कार्यकर्त्यांची बैठक झाली. तीत राठोड मार्गदर्शन करीत होते. यावेळी बंजारा क्रांतीदलाचे जिल्हाध्यक्ष मोतीराम चव्हाण, नगरसेवक भोजराज पवार, मोतीराम राठोड, जगन्नाथ जाधव, चाचा चव्हाण, किसन पवार, अशोक चव्हाण यांच्यासह समाजातील मान्यवर उपस्थित होते.
राठोड म्हणाले, "गत महिन्यात 28 तारखेला रात्री पोलिसांनी कोंडी तांडा (ता. उत्तर सोलापूर) येथे छापा टाकला. दिसेल त्याला मारहाण केली.'' पोलिसांच्या भयामुळे तांड्यावर कोणी पुरुषमंडळी आजही नाहीत. ज्यांनी गुन्हे केले त्यांना जरुर पकडा मात्र तांड्यावरील सर्वांनाच कसे गुन्हेगार ठरविता. सापडलेल्या लोकांवर 307 चे गुन्हे दाखल केल्याने जामीन मिळणेही दुरापास्त झाले. हा अन्याय असल्याचे त्यांनी सांगितले.
केवळ मतासाठी बंजारा समाजाला जवळ करायचे, पोलिसांनी अन्याय करीत गुन्हेगारी समाजचा शिक्का मारायचा, नेत्यांनी बघ्याची भूमिका घ्यायची, हे चालणार नाही, असे राठोड म्हणाले.
भोजराज पवार यांनी बंजारा समाजाने संघटितरित्या अन्यायाला विरोध करावा असे सांगून पोलिसांच्या अन्यायी धोरणाचा निषेध केला.
जो समाज बहुसंख्य त्याने अन्याय केला तर अल्पसंख्य समाजाने न्याय कोठे व कसा मागायचा? लमाण तांड्यावरील सगळेच कसे गुन्हेगार असतील? मते मागण्यासाठी येणाऱ्या नेत्यांना समाजावर होत असणारा अन्यायाबाबत काही करावे असे का वाटत नाही? '' असे विविध प्रश्‍न राठोड यांनी यानिमित्त उपस्थित केले.
जिल्हाध्यक्ष मोतीराम राठोड यांनी बंजारा समाजाच्या उमेदवारासाठी कॉंग्रेसने जागा सोडल्या पाहिजे असे सांगितले. उमाकांत राठोड, भोजराज पवार, अशोक चव्हाण, अलका राठोड अशा बंजारा समाजातील नेत्यांना कॉंग्रेसने विधानसभेची उमेदवारी दिली पाहिजे असे सांगितले. यावेळी विविध मान्यवरांनी मते व्यक्‍त केली.

Sunday, October 11, 2009

'"Viyawal Chori-Chorar valak Pachanl ( Vadhu - Var Parichay Malav ) "


JAI SEVALAL,
considering the problems we are facing while searching for the proper lifepartener in our Community.
As requirment Of GOR community , GORSIKWADI are organising ,
You can find the form attached herewith.
If you have anyone in your contact please ask them to register at the earliest because after registration we are suppose to make Booklet which consists of all candidate's details as well as photograph so that selection will become easier for the candidate.
Place Date Contact No last of Registration
1. Solapur 20 Oct 09 Prof Sandesh Chavan- 9420182628 15 oct
2. Nanded 25 Oct 09 Mr. KAshinath Rathod 9423139077 20 Oct
3 Pune 08 Nov 09 Prof Sandesh Chavan 9420182628 5 Nov
Mr.Ravi Rathod 9960448887
Prof Dipali Chavan 9822414160
This is for your information that we are providing
Lunch for the candidate and their parents & Booklet consisting of all information about the candidate all candidate.
You can download the form and send it by post on given address along with required amount DD(150/- per place per head )
Adress: C/O Mr.K.H.Rathod
S.T. Workshop,Nanded-431605 (MH )
Talk : Nanded Dist: Nanded
We request you to send your supporting documents (i.e.Educational Qulification,Appointment letter etc.) to avoid Conffusion.
We hope all you will take advantage of this opportunity and will cooperate us.
Thanking you.
JAI GOR ! ! GOR-SIKWADI

Download the registration for below link

http://www.banjara-jeevansathi.com/Registration_Form.doc

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