उज्जैन वैसे तो संपूर्ण भारत देश में भिन्न-भिन्न समाज जाति धर्म के लोग निवास करते है, जिनमें से एक बंजारा समाज है, जिसका इतिहास वर्षो नहीं सदियों पुराना है। भारत में वर्तमान में बंजारा समाज कई प्रांतों से निवास करता है। महाराष्ट्र, कर्नाटक, आंध्रप्रदेश, राजस्थान, गुजरात, उत्तरप्रदेश तथा मप्र प्रांतों में बंजारा समाज की संख्या अधिक है। पूरे देश में अपनी एक अलग ही संस्कृति में जीने वाले इस समाज को अपनी विशिष्ट पहचान के रूप में जाना जाता है। वैसे भारतीय संविधान अनुसार समाज विकास के लिए प्रदेश स्तर पर अलग-अलग कानून बनाये गये है, जिसके कारण बंजारा जाति को किसी प्रदेश में अनुसूचित जनजाति में तो किसी प्रदेश में पिछड़ा वर्ग या विमुक्त जाति की सूची में रखा गया है। देश में बंजारा समाज हेतु एक जैसा कानून नहीं होने से यह समाज आज भी विकास की मुख्य धारा से नहीं जुड़ गया है। इसके कारण मप्र सहित कई प्रांत के बंजारा जाति के लोग अपनी रोजी-रोटी हेतु अलग-अलग प्रांतों में पलायन कर अपनी अजीविका चला रहे है। राजनैतिक दृष्टि से यह समाज अपनी पहचान तक नहीं बना पाया है। वर्तमान में मप्र बंजारा जाति की जनसंख्या लगभग दस लाख है, फिर भी प्रदेश, जिला व ब्लाक स्तर पर इस समाज का प्रतिनिधित्व नहीं होने के कारण समाज आज भी विकास की राह देख रहा है। शासन को चाहिए की बंजारा समाज जिसकी संस्कृति ने भारत देश की संस्कृति से मिलती-जुलती है। ऐसे समाज को सरकारी व गैर सरकारी, राजनैतिक संगठनों में कम से कम इतना प्रतिनिधित्व तो दिया ही जाना चाहिए, जिससे सदियों से पिछड़े समाज के विकास का रास्ता प्रबल हो। समय होते हुवे यदि शासन स्तर पर समाज की कोई ठोस पहल नहीं की जाती है। समाज अब अपने अधिकारों के लिए और अधिक समय तक इंतजार नहीं करेगा व अपने स्तर पर विकास हेतु भावी राजनीति बनाने में जुट सकता है।
refrence
jagran
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Jai sevalal,Gormati.......I think,you want to write something.