पीलीभीत। नगर के तीन प्रमुख शिव मंदिरों में से दो का इतिहास काफी प्राचीन है। सिर्फ नगर ही नहीं बल्कि दूर-दूर से तमाम भक्त इन मंदिरों में पूजा-अर्चना करने पहुंचते हैं। खासकर सावन में तो पूरे महीने प्रतिदिन ऐतिहासिक गौरीशंकर मंदिर, दूधिया मंदिर और अर्द्ध नारीश्वर मंदिर में भक्तों की भीड़ उमड़ती है। इसके अलावा महाशिवरात्रि पर भी इन मंदिरों में विशेष अनुष्ठान होते हैं।
नगर के सबसे प्राचीन गौरीशंकर मंदिर के बारे में कहा जाता है कि पहले यहां घना जंगल था। आसपास बंजारों की बस्ती थी। जमीन की खुदाई करते समय एक काफी बड़ा और आकर्षक शिवलिंग जमीन से निकला। जिस बंजारे ने खुदाई की थी, उसे शंकर भगवान ने स्वप्न दिया कि इसी जगह पर शिवलिंग की स्थापना करके पूजा करे। बंजारा समुदाय के द्वारिका दास ने छोटा सा मंदिर बनाकर शिवलिंग को स्थापित कर दिया। अपने जीवन के अंतिम दिनों में द्वारिका दास ने इस मंदिर को महंत खूबचंद्र के पिता को सौंप दिया। तब से अब तक उन्हीं के परिवार के सदस्य पीढ़ी दर पीढ़ी इस मंदिर के महंत बनते रहे हैं। वर्तमान महंत पंडित शिव शंकर का कहना है कि करीब छह सौ साल पहले जब रुहेला सरदार हाफिज रहमत खां ने यहां जामा मस्जिद का निर्माण कराया तो उसके तुरंत बाद हिन्दुओं की आस्था के केंद्र गौरीशंकर मंदिर का भव्य मुख्यद्वार बनवा दिया। सामन के महीने में इस मंदिर में दूर-दूर से कांवर लाकर भक्त अपने भोले बाबा का जलाभिषेक करते है।
नगर का दूधिया मंदिर भी अपने में इतिहास समेटे हैं। सैकड़ों साल पहले यहां पर भी जंगल था। जंगल में ही भूमि से दूधिया रंग का बड़ा सा शिवलिंग निकला। इस शिवलिंग की स्थापना कर छोटा सा मंदिर बना दिया गया। आगे चलकर भक्तों के सहयोग से मंदिर को भव्य स्वरूप प्रदान किया गया। इस स्थल की प्राचीनता का अंदाज इसी से लगाया जा सकता है कि लुप्तप्राय: हो गया शमीवृक्ष यहां मौजूद है। इस विशाल वृक्ष की हर शनिवार को भक्त पूजा करते हैं। मान्यता है कि शमीवृक्ष पर लक्ष्मी का निवास होता है। मंदिर के महंत कामता प्रसाद उपाध्याय कहते हैं कि इस मंदिर की स्थापना कब और किसने की यह कोई नहीं जानता। इसके बारे में यही बताया जाता है कि जंगल में आकर कुछ संत ठहरे थे, तभी भूमि से दूधिया रंग का शिवलिंग प्रकट हुआ, उन्हीं संतों ने शिवलिंग की स्थापना कर छोटा सा मंदिर बनवाया। आगे चलकर मंदिर की मान्यता बढ़ी तो भक्तों के सहयोग से इसका स्वरूप विशाल होता गया।
स्टेशन रोड पर स्थित अर्द्ध नारीश्वर मंदिर का इतिहास ज्यादा पुराना नहीं है लेकिन भक्तों के बीच इसकी भी मान्यता कम नहीं है। खासकर सावन के महीने में सुबह और शाम के समय यहां तमाम भक्त पहुंचते हैं। दशकों पहले इस मंदिर का स्वरूप काफी छोटा था लेकिन श्रद्धालुओं ने बाद में इस मंदिर को भव्य बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी है। शहर में मुख्य मार्ग के किनारे होने के कारण तमाम भक्त सुबह शिवलिंग के दर्शनों के उपरांत ही अपनी दिनचर्या आरंभ करते हैं।
Regards,
Yahoo,Jagran
No comments:
Post a Comment
Jai sevalal,Gormati.......I think,you want to write something.